गुना। कमजोर, जरूरत मंद, मंदबुद्धि लोगों को बंधुआ मजदूर बनाकर जिले की साख पर कलंक का दाग लगाने वाले निर्दयी दबंगों में अब डर का माहौल दिखने लगा है। प्रशासनिक कार्यवाही के बाद अब इन बंधुआ मजदूरों को दबंगों ने या तो छुपा दिया है या फिर सड़कों पर छोड़ कर जाने लगे हैं। सड़कों पर छोड़े गए ऐसे ही कुछ लोगों को समाजसेवी प्रमोद भार्गव के द्वारा पुलिस को इन्फोर्मेशन देने के बाद अपनाघर आश्रम में भेजने का क्रम जारी है। आज भी कुछ मुक्त बंधकों को आश्रम भेजने की कार्यवाही जारी थी।
समाजसेवी प्रमोद भार्गव के तीन वर्षों के संघर्ष के बाद न केवल प्रशासन जागा, बल्कि वो लोग भी शर्माशर्मी इस अभियान की सराहना करने को मजबूर हैं जो कभी बंधुआ मुक्ति मुहिम में रोड़ा बनते थे। मानवता के मूल्यों की रक्षा के लिए प्रमोद भार्गव द्वारा की जा रही कोशिशों को जैसे ही प्रशासन का साथ मिला, वैसे ही सुखद परिणाम सामने आने लगे। चाचौड़ा क्षेत्र से अभी तक 158 बंधुआ मजदूर जो जानवरों से भी बदतर जिंदगी जी रहे थे, मुक्त कराए जा चुके हैं। इनमें से कुछ अपने परिवार तक पहुंच गए हैं बाकी के बेसहारों का सहारा बने अपना घर आश्रम में आसरा लिए हैं।
हालांकि इस कार्यवाही में अभी भी प्रशासनिक स्तर पर सुधार की काफी गुंजाइश है। जिसमें राजनैतिक दबाव से परे होकर ऐसे सभी दबंगों पर कार्यवाही की दरकार है जो अभी भी बंधुआ मजदूरों को रखे हुए हैं और राजनैतिक संबंधों के कारण कार्यवाही से बच रहे हैं।
विगत दिवस जब एक बैठक में जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के सामने कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने की कार्यवाही की जानकारी दी तो प्रभारी मंत्री यह जानकार हतप्रभ रह गए कि गुना जिले में बंधुआ मजदूर भी हैं, उन्होंने इस पर चिंता जताई और बंधुआ मजदूरी प्रथा को दाग बताते हुए प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए।