गुना, मध्यप्रदेश। गुना जिले के आरोन कस्बे में बदमाशों ने सनसनी खेज वारदात को अंजाम दे डाला। घर के बाहर से 6 माह की पोती को उसके दादा की गोदी से छीनकर बदमाश भाग गए। हालांकि मध्यस्थता और पुलिस के दबाव के बाद अपहृत बच्ची सकुशल वापस मिल गई। पुलिस ने इस मामले में काफी मेहनत की इस कारण कोई अनहोनी नहीं हुई।
जानकारी के अनुसार आरोन कस्बे की सरस्वती कॉलोनी निवासी सोनू रघुवंशी के पिता बलराम अपनी छह माह की पोती को लेकर घर के बाहर टहल रहे थे। शाम करीब साढ़े पांच बजे मोटरसाइकिल सवार दो बदमाश उनके पास पहुंचे और गोदी से बच्ची को छीनकर भाग गए। दिनदहाड़े हुई इस वारदात से कस्बे में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई। कुछ ही देर में सीसीटीवी खंगालने पर मोटरसाइकिल सवार दोनों बदमाश दिखाई दे गए इनमें से पीछे बैठे बदमाश की गोदी में बच्ची भी दिखाई दी। इसके अलावा एक और मोटरसाइकिल पर दो और बदमाश भी दिखाई दिए।
सूत्रों के मुताबिक चारों बदमाश दो मोटर साइकिलों से वारदात को अंजाम देने पूरी प्लानिंग से आए थे। वारदात के ठीक पहले एक व्यक्ति ने मोबाइल पर सोनू के घर का पता भी पूछा था। सूत्रों के मुताबिक करीब पौन घंटे बाद बच्ची के परिजन के मोबाइल पर एक अज्ञात नम्बर से कॉल आया। बताया जा रहा है कि, कॉलर ने कहा कि बच्ची वापस चाहते हो तो संजय सागर बांध पर 14 लाख रुपए भेज दो। पैसे लेकर बाइक से अकेले आना, पुलिस को सूचना दी या होशियारी दिखाई तो बच्ची को भूल जाना।
हालांकि पुलिस ने किसी भी तरह की फिरौती मांगे जाने की बात से इंकार किया है। सूत्रों ने बताया कि इस कॉल के बाद पुलिस हाई अलर्ट मोड पर आ गई। ग्वालियर और भोपाल तक पुलिस का तंत्र इस घटना के बाद सक्रिय हो गया। इस बीच पुलिस को जानकारी मिली कि बच्ची के पिता सोनू रघुवंशी का कुछ दिन पहले अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक व्यक्ति से विवाद हुआ था। पुलिस को इस वारदात में उसकी भूमिका पर संदेह हुआ।
इस बीच ग्राम ककरूआ के एक मध्यस्थ ने पुलिस के काम को आसान बनाने में भूमिका निभाई। बताया जाता है कि अपहरणकर्ता बच्ची को कंबल में लपेट कर आरोन से शहरोक रोड होते हुए राघौगढ़ क्रॉस कर राजस्थान सीमा की ओर ले गए थे, लेकिन पुलिस की सक्रियता से बने दवाब और मध्यस्थ के प्रयासों के चलते बदमाश अंजाम के भय से अपहृत बच्ची को कुछ घंटे बाद सकुशल वापस छोड़ गए। इस दौरान बच्ची के परिजन जहां अनिष्ट की आशंका से परेशान होते रहे वहीं पुलिस भी बच्ची को सलामत लाने के लिए हर संभव कोशिश करती रही। जब बच्ची वापस आ गई तब ककरूआ गांव से उसे पुलिस थाने ले आई। बच्ची को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है।
खबर लिखे जाने तक आरोपी गिरफ्त से बाहर थे। वहीं आरोन थाने में वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में पुलिस आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने में जुटी थी। सूत्र बताते हैं कि सोनू और उसके भाई का जमीन के किसी मामले को लेकर पूर्व में अनुसूचित जनजाति के एक व्यक्ति से विवाद हुआ था। हालांकि वारदात की असली वजह अधिकृत रूप में फिलहाल सामने नहीं आई है। घटना और उसके खुलासे को लेकर पुलिस की ओर से अधिकृत जानकारी सामने आने का इंतजार है।